Saturday 4 July 2020

चंद्र ग्रहण...?

*गुरूपुर्णिमा पर चंद्र ग्रहण नही है-.....*

इस बार चंद्र ग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन 5 जुलाई, दिन *रविवार* को लगने जा रहा है। इस चंद्र ग्रहण के बारे में सबसे खास बात यह है कि चंद्र ग्रहण *भारत में दिखाई नहीं देगा*। यह ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा, जिसके भारत में दिखाई न देने के कारण चंद्र ग्रहण का *सूतक काल* भी प्रभावी नहीं होगा।

5 जुलाई, दिन रविवार को लगने वाले साल 2020 के तीसरे चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटा 43 मिनट और 24 सेकेंड तक होगी। इस बार लोग भारत में उपच्छाया चंद्र ग्रहण को नहीं देख पाएंगे। इस चंद्र ग्रहण को *यूरोप, आस्‍ट्रेलिया और अमेरिका के बड़े हिस्से में आसानी से देखा जा सकेगा।*
🙏🙏
*Scientific Astrology & Vastu Research Astrologer's Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379.  www.astropawankv.blogspot.com.    www.facebook.com/astropawankv*

Thursday 2 July 2020

ज्ञानवर्धक कथा....

*राम राम जी*
*हमारे धर्म शास्त्रों बहुत सी ज्ञानवर्धक कथाएँ कही गई है आइये आज हम सभी जन उनमें से एक बहुत ही ज्ञानवर्धक कथा का श्रवण करते  है जी*


*एक बार एक शिकारी शिकार करने गया,शिकार नहीं मिला, थकान हुई और एक वृक्ष के नीचे आकर सो गया। पवन का वेग अधिक था, तो वृक्ष की छाया कभी कम-ज्यादा हो रही थी, डालियों के यहाँ-वहाँ हिलने के कारण।*

*वहीं से एक अतिसुन्दर हंस उड़कर जा रहा था, उस हंस ने देखा की वह व्यक्ति बेचारा परेशान हो रहा हैं, धूप उसके मुँह पर आ रही हैं तो ठीक से सो नहीं पा रहा हैं, तो वह हंस पेड़ की डाली पर अपने पंख खोल कर बैठ गया ताकि उसकी छाँव में वह शिकारी आराम से सोयें।*

*जब वह सो रहा था तभी एक कौआ आकर उसी डाली पर बैठा, इधर-उधर देखा और बिना कुछ सोचे-समझे शिकारी के ऊपर अपना मल विसर्जन कर वहाँ से उड़ गया।*

*तभी शिकारी उठ गया और गुस्से से यहाँ-वहाँ देखने लगा और उसकी नज़र हंस पर पड़ी और उसने तुरंत धनुष बाण निकाला और उस हंस को मार दिया। हंस नीचे गिरा और मरते-मरते हंस ने कहा:-*

*मैं तो आपकी सेवा कर रहा था, मैं तो आपको छाँव दे रहा था, आपने मुझे ही मार दिया? इसमें मेरा क्या दोष?*

 *उस समय उस पद्मपुराण के शिकारी ने कहा:*

*यद्यपि आपका जन्म उच्च परिवार में हुआ, आपकी सोच आपके तन की तरह ही सुंदर हैं, आपके संस्कार शुद्ध हैं, यहाँ तक की आप अच्छे इरादे से मेरे लिए पेड़ की डाली पर बैठ मेरी सेवा कर रहे थे,*

*लेकिन आपसे एक गलती हो गयी, की जब आपके पास कौआ आकर बैठा तो* *आपको उसी समय उड़ जाना चाहिए था।*

 *उस दुष्ट कौए के साथ एक घड़ी की संगत ने ही आपको मृत्यु के द्वार पर पहुंचाया हैं।*
🙏🙏
*शिक्षा: संसार में संगति का सदैव ध्यान रखना चाहिये। जो मन, कार्य और बुद्धि से परमहंस हैं उन्हें विष रूपी यानी नीच बुद्धि के व्यक्ति (कोए)  की सभा से दूरी ही बनायें रखना चाहिये..............*
🙏🙏
*राम राम जी*
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Monday 23 March 2020

क्यों बजाएं शंख व घंटियाँ....

*क्यों शंख और घण्टी  बजाई जाती है?*

जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो #शंखनाद (आवाज) गूंजी थी. वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है. घंटी उसी नाद का प्रतीक है. यही नाद 'ओंकार' के उच्चारण से भी जागृत होता है. कहीं-कहीं यह भी लिखित है कि जब प्रलय आएगा उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगा. मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है.।इसके पीछे धार्मिक कारण तो हैं ही साथ में इसका हमारे जीवन पर साइंटिफिक असर भी होता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है. इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है. विदेशों में घंटी के अलावा हर तरह के वाद्ययंत्रों को बजाया जाता है,जिसमें कंपन पैदा हो,उस कंपन से ही कई जीवाणु विषाणु मर जाते हैं। देख लो कैसे कोरोना के ड़र से विदेशी ने वाद्ययंत्रों के कंपन से विषाणुओं पर हमला भी किया जा रहा है और लोगों को जागरूक भी।

*जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।*
*दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।*

 महामारी नाशक मंत्र जपे,हवन करे,और अपने घर में अगर वाद्ययंत्र है तो बजाओ,नही तो पीटो थाली,कटोरी इत्यादि

सब का कल्याण हो।
हर हर महादेव।।
🙏🙏

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Monday 9 March 2020

होली विशेष पूजन उपाय

*होली पर विशिष्ट पुजन और  उपाय :-*

◆ *होली के त्योहार को रंग, उमंग और खुशी का त्योहार मानाजाता है। इस दिन सभी गिले-शिकवे भूलकर आपस में मेल-मिलाप करते हैं।*
°◆ *होली की रात भी कई लाभ देने वाली होती है शास्त्रों में होली की रात को सिद्धि की रात कहा गया है। इस दिन नकारात्मक और  सकारात्मक उर्जा दोनों ही बहुत सक्रिय रहते हैंइसलिए इस दिन का प्रयोग सदियों से सिद्धियां हासिल करने के लिए लोग करते आए हैंअगर आप भी किसी परेशानी से जूझ-रहे हैं तो इस  दिन कुछ  उपायों को आजमाकर लाभ और उन्नति प्राप्त  कर सकते हैं।*
◆◆ *होलिका दहन का शुभ मुहूर्त  :-*
◆◆ *होलिका दहन का दिन: 9 मार्च 2020*
● *संध्या काल में :- 06 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 49 मिनट तक*
● *भद्रा पुंछा – सुबह 09 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर51 मिनट तक*
● *भद्रा मुखा – सुबह 10 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर32 मिनट तक*
◆ *1. स्वास्थ्य लाभ के लिए उपाय :-*
*होलिका दहन के दिन सरसों के तेल में सरसों की खली मिलाकर  पूरे शरीर की मसाज करें। शरीर से निकलने वाले मैल को होलिकाग्नि में डाल देंमाना जाता है कि  इससे रोग और शोक का अंत होता है इसके अलावा  इस दिन लाल रंग के धागे  से शरीर को नाप लें और  धागे को अग्नि में अर्पित कर दें। यह उपाय भी स्वस्थ्य  के लिए उत्तम माना गयाहै।*
◆ *2.  कर्ज मुक्ति और धन लाभ के लिए :-*
*होली का पर्व भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की याद में मनायाजाता है। प्रह्लाद की रक्षा के लिए  भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था नृसिंहभगवान तंत्र साधना के लिए भी जाने जाता हैं। होली के अवसर पर नृसिंह स्तोत्र का पाठ करें होलिकाग्नि में नारियल डालें तो यह धन के लिए शुभ होता है इससे कर्ज के  बोझ सेमुक्ति मिलती है।*
◆ *3. सफलता के लिए करें होली पर यह उपाय :-*
*लगातार बीमारी से परेशान हैं, तो होलिका दहन के बाद बची राख मरीज के सोने वाले स्थान पर छिड़कने से लाभ मिलता है। सफलता प्राप्ति के लिए होलिकाग्नि में नारियल, पान तथा सुपारी अर्पित करें।*
◆ *4 खर्च नियंत्रित करने के लिए :-*
*गृह क्लेश से निजात पाने और सुख शांति के लिए होलिका की अग्नि में जौ-आटा चढ़ाएं। इसके अलावा होलिका दहन के  दूसरे दिन राख लेकर उसे लाल रुमाल में बांधकर पैसों के स्थान पर रखने से बेमतलब के  खर्च रुक जाते हैं।*
◆ *5. सुखमय होगा दांपत्‍य जीवन :-*
*दांपत्य जीवन में शांति के लिए होली की रात उत्तर दिशा मेंएक पाट पर सफेद कपड़ा बिछाकर  उस पर  मूंग, चने की दाल,  चावल, गेहूं, मसूर, काले उड़द एवं तिल के ढेर पर नवग्रह यंत्र स्थापित करें इसके बाद केसर  का तिलक कर घी  का दीपक जलाएं और नवग्रह एवं कामदेव रति की पूजा करें।*
◆ *6. विवाह बाधा दूर करने के लिए :-*
*जल्द विवाह के लिए होली के दिन सुबह एक पान के पत्ते पर साबूत सुपारी और हल्दी की गांठ लेकर शिवलिंग पर चढ़ाएं और बिना पीछे मुड़े घर आ जाएं। अगले 21 दिन यह उपाय करते रहें।*
◆ *7. नहीं लगेगी बुरी नजर :-*
*बुरी नजर से बचाव के लिए गाय के गोबर में जौ, अलसी और कुश मिलाकर छोटा उपला बना कर इसे घर के मुख्य दरवाजे पर लटका दें। होलिका की राख को घर के चारों तरफ छिड़क देने से भी घर की खुशी को बुरी नजर नहीं लगती है।*
◆ *8. व्‍यापार में लाभ के उपाय :-*
*होली की रात “ॐ नमो धनदाय स्वाहा” मंत्र के जाप से धन में वृद्धि होती है। इसके अलावा 21 गोमती चक्र लेकर होलिका दहन की रात शिवलिंग पर चढ़ाने से व्यापार में वृद्धि और लाभ होता है ऐसी मान्यताएं कहती हैं।*
◆ *9. टोने टोटके से बचने के उपाय :-*
*किसी टोटके से राहत पाने के लिए होली की रात होलिका दहन स्थल पर एक गड्ढा खोदकर उसमें 11 अभिमंत्रित कौड़ियां दबा दें। अगले दिन कौड़ियों को निकालकर अपने घर की मिट्टी के साथ नीले या काले कपड़े में बांधकर नदी में प्रवाहित कर दें।*
◆ *10. परिक्रमा से लाभ मिलेगा :-*
*होली की रात 12 बजे किसी पीपल वृक्ष के नीचे घी का दीपकजलाने और सात बार परिक्रमा करने से तमाम तरह की बाधाएं दूर होती हैं। इसके अलावा उधार की रकम वापस पाने के लिए होलिका दहन स्थल पर जिसने कर्ज लिया है उसका नाम अनार की लकड़ी से लिखकर होलिका से धन वापसी करने की प्रार्थना करने पर धन की वापसी जल्दी हो जाती है ऐसी मान्यताएं कहती हैं।*
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Monday 2 March 2020

होलाष्टक विचार

*होलाष्टक विचार*

विपाशेरावती तीरे
               शुतुद्रयाश्च त्रिपुष्करे।
विवाहादि शुभे नेष्टं-
            होलिकाप्राग्दिनाष्टकम् ।।

होलाष्टक के शाब्दिक अर्थ पर जायें, तो होला + अष्टक अर्थात होली से पूर्व के आठ दिन, जो दिन होता है, वह होलाष्टक कहलाता है। सामान्य रुप से देखा जाये तो होली एक  दिन का पर्व न होकर पूरे नौ दिनों का त्यौहार है।

होलाष्टक के समय शुभ कार्य वर्जित होते है यह फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगता है होलाष्टक फिर आठ दिनों तक रहता है और सभी शुभ मांगलिक कार्य रोक दिए जाते है यह दुलहंडी पर रंग खेलकर खत्म होता है।

फाल्गुन शुक्ल अष्टमी पर 2 डंडे स्थापित किए जाते हैं। जिनमें एक को होलिका तथा दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है। इससे पूर्व इस स्थान को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है  फिर हर दिन इसमे गोबर के उपल , लकड़ी घास और जलने में सहायक चीजे डालकर इसे बड़ा किया जाता है।

पौराणिक कथाओ एवं शास्त्रों में बताया गया है की होलाष्टक के दिन ही कामदेव ने शिव तपस्या को भंग किया था इस कारण शिव जी अत्यंत क्रोधित हो गये थे उन्होंने अपने तीसरे नेत्र की अग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था हालाकि कामदेव ने देवताओ की इच्छा और उनके अच्छे के लिए शिव को तपस्या से उठाया था।

कामदेव के भस्म होने से समस्त संसार शोक में डूब गया उनकी पत्नी रति ने शिव से विनती की वे उन्हें फिर से पुनर्जीवित कर दे तब भगवान भोलेनाथ से द्वापर में उन्हें फिर से जीवन देने की बात कही।

एक दूसरी कथा के अनुसार राजा हरिण्यकशिपु ने अपने पुत्र भक्त प्रह्लाद को भगवद् भक्ति से हटाने और हरिण्यकशिपु को ही भगवान की तरह पूजने के लिये अनेक यातनाएं दी लेकिन जब किसी भी तरकीब से बात नहीं बनी तो होली से ठीक आठ दिन पहले उसने प्रह्लाद को मारने के प्रयास आरंभ कर दिये थे। लगातार आठ दिनों तक जब भगवान अपने भक्त की रक्षा करते रहे तो होलिका के अंत से यह सिलसिला थमा। इसलिये आज भी भक्त इन आठ दिनों को अशुभ मानते हैं। उनका यकीन है कि इन दिनों में शुभ कार्य करने से उनमें विघ्न बाधाएं आने की संभावनाएं अधिक रहती हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक मे सभी शुभ कार्य करना वर्जित रहते हैं, क्योकी इन आठ दिवस 8 ग्रह उग्र रहते है। इन आठ दिवसो मे अष्टमी को चन्द्रमा,नवमी को सूर्य,दशमी को शनि,एकादशी को शुक्र,द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मगल, और पूर्णिमा को राहू उग्र रहते हैं। इसलिये इस अवधि में शुभ कार्य करने वर्जित है

होलाष्टक में न करें ये कार्य

1. *विवाह:* होली से पूर्व के 8 दिनों में भूलकर भी विवाह न करें। यह समय शुभ नहीं माना जाता है, जब तक कि कोई विशेष योग आदि न हो।

2. *नामकरण एवं मुंडन संस्कार*:
होलाष्टक के समय में अपने बच्चे का नामकरण या मुंडन संस्कार कराने से बचें।

3. *भवन निर्माण*: होलाष्टक के समय में किसी भी भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं। होली के बाद नए भवन के निर्माण का शुभारंभ कराएं।

4. *हवन-यज्ञ*:होलाष्टक में कोई यज्ञ या हवन अनुष्ठान करने की सोच रहे हैं, तो उसे होली बाद कराएं। इस समय काल में कराने से आपको उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा।

5. *नौकरी*: होलाष्टक के समय में नई नौकरी ज्वॉइन करने से बचें। अगर होली के बाद का समय मिल जाए तो अच्छा होगा। अन्यथा किसी ज्योतिषाचार्य से मुहूर्त दिखा लें।

6. *भवन, वाहन आदि की खरीदारी:* संभवत हो तो होलाष्टक के समय में भवन, वाहन आदि की खरीदारी से बचें। शगुन के तौर पर भी रुपए आदी न दें।

होलाष्टक में पूजा-अर्चना की के लिए किसी भी प्रकार की मनाही नही होती। होलाष्टक के समय में अपशकुन के कारण मांगलिक कार्यों पर रोक होती है। हालांकि होलाष्टक में भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय में आप अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना, भजन, आरती आदि करें, इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
परंतु सकाम (किसी कामना से किये जाने वाले यज्ञादि कर्म) किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किये जाते।

7.*सनातन  धर्म* में 16 प्रकार के संस्कार बताये जाते हैं इनमें से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिये। हालांकि दुर्भाग्यवश इन दिनों किसी की मौत होती है तो उसके अंत्येष्टि संस्कार के लिये भी शांति पूजन करवाया जाता है।

*होलाष्टक  कब है*?

होलाष्टक कल 3 मार्च को लगेगा और 9 मार्च 2020 तक रहेगा इस आठ दिन के समय में कोई मांगलिक कार्य , गृह प्रवेश करना वर्जित होगा व्यक्ति को नए रोजगार और नया व्यवसाय भी नही शुरू करना चाहिए।
🙏🙏
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Thursday 20 February 2020

महाशिवरात्रि.....

*ॐ नमः शिवाय*
*शिवरात्रि विशेष-*

देवों के देव भगवान भोले नाथ जी के भक्तों के लिये श्री महाशिवरात्रि का व्रत विशेष महत्व रखता हैं. यह पर्व फाल्गुन कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस दिन का व्रत रखने से भगवान भोले नाथ शीघ्र प्रसन्न हों, उपवासक की मनोकामना पूरी करते हैं. इस व्रत को सभी स्त्री-पुरुष, बच्चे, युवा, वृ्द्धों के द्वारा किया जा सकता हैं.
महाशिवरात्रि के दिन विधिपूर्वक व्रत रखने पर तथा शिवपूजन, शिव कथा, शिव स्तोत्रों का पाठ व "उँ नम: शिवाय" का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं. व्रत के दूसरे दिन ब्राह्माणों को यथाशक्ति वस्त्र-क्षीर सहित भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं.
शिवरात्री व्रत की महिमा
इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत को जो जन करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है. व इस व्रत को लगातार 14 वर्षो तक करने के बाद विधि-विधान के अनुसार इसका उद्धापन कर देना चाहिए.
महाशिवरात्री व्रत का संकल्प 
व्रत का संकल्प सम्वत, नाम, मास, पक्ष, तिथि-नक्षत्र, अपने नाम व गोत्रादि का उच्चारण करते हुए करना चाहिए. महाशिवरात्री के व्रत का संकल्प करने के लिये हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि सामग्री लेकर शिवलिंग पर छोड दी जाती है.
महाशिवरात्री व्रत की सामग्री i
उपवास की पूजन सामग्री में जिन वस्तुओं को प्रयोग किया जाता हैं, उसमें पंचामृ्त (गंगाजल, दुध, दही, घी, शहद), सुगंधित फूल, शुद्ध वस्त्र, बिल्व पत्र, धूप, दीप, नैवेध, चंदन का लेप, ऋतुफल आदि.
महाशिवरात्री व्रत की विधि
महाशिवरात्री व्रत को रखने वाले जन को उपवास के पूरे दिन भगवान भोले नाथ का ही ध्यान किया जाता हैं. प्रात: स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है. इसके ईशान कोण दिशा की ओर मुख कर शिव का पूजन धूप, पुष्पादि व अन्य पूजन सामग्री से पूजन करना चाहिए.
इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है, प्रत्येक पहर की पूजा में "उँ नम: शिवाय" व " शिवाय नम:" का जाप करते रहना चाहिए. अगर शिव मंदिर में यह जाप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जाप किया जा सकता हैं. चारों पहर में किये जाने वाले इन मंत्र जापों से विशेष पुन्य प्राप्त होता है. इसके अतिरिक्त उपावस की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते है.
शिव अभिषेक विधि
महाशिव रात्रि के दिन शिव अभिषेक करने के लिये सबसे पहले एक मिट्टी का बर्तन लेकर उसमें पानी भरकर, पानी में बेलपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किये जाते है. व्रत के दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए. ओर मन में असात्विक विचारों को आने से रोकना चाहिए. शिवरात्रि के अगलए दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है.
पूजन करने का विधि-विधान
महाशिवरात्री के दिन शिवभक्त का जमावडा शिव मंदिरों में विशेष रुप से देखने को मिलता है. भगवान भोले नाथ अत्यधिक प्रसन्न होते है, जब उनका पूजन बेल- पत्र आदि चढाते हुए किया जाता है. व्रत करने और पूजन के साथ जब रात्रि जागरण भी किया जाये, तो यह व्रत और अधिक शुभ फल देता है. इस दिन भगवान शिव की शादी हुई थी, इसलिये रात्रि में शिव की बारात निकाली जाती है. सभी वर्गों के लोग इस व्रत को कर पुन्य प्राप्त करते है.
महाशिवरात्रि व्रत कथा
एक बार. 'एक गाँव में एक शिकारी रहता था. पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था. वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका. क्रोधवश साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया. संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी. शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा. चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि की कथा भी सुनी. संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की. शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया.
अपनी दिनचर्या की भाँति वह जंगल में शिकार के लिए निकला, लेकिन दिनभर बंदीगृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था. शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा. बेल-वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो बिल्वपत्रों से ढँका हुआ था. शिकारी को उसका पता न चला.
पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियाँ तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरीं. इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए.
एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुँची. शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, मृगी बोली, 'मैं गर्भिणी हूँ. शीघ्र ही प्रसव करूँगी. तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है. मैं अपने बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे सामने प्रस्तुत हो जाऊँगी, तब तुम मुझे मार लेना.' शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी झाड़ियों में लुप्त हो गई.
शिकार को खोकर उसका माथा ठनका. वह चिंता में पड़ गया. रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था. तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था. उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर न लगाई, वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, 'हे पारधी! मैं इन बच्चों को पिता के हवाले करके लौट आऊँगी. इस समय मुझे मत मार.'
शिकारी हँसा और बोला, 'सामने आए शिकार को छोड़ दूँ, मैं ऐसा मूर्ख नहीं. इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूँ. मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे.'
उत्तर में मृगी ने फिर कहा, 'जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी, इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान माँग रही हूँ. हे पारधी! मेरा विश्वास कर मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूँ.'
मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई. उसने उस मृगी को भी जाने दिया. शिकार के आभाव में बेलवृक्ष पर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था. पौ फटने को हुई तो एक हष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया. शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्व करेगा.
शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला,' हे पारधी भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि उनके वियोग में मुझे एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े, मैं उन मृगियों का पति हूँ. यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण जीवनदान देने की कृपा करो. मैं उनसे मिलकर तुम्हारे सामने उपस्थित हो जाऊँगा.'
मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटना-चक्र घूम गया. उसने सारी कथा मृग को सुना दी. तब मृग ने कहा, 'मेरी तीनों पत्नियाँ जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएँगी. अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो. मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूँ.'
उपवास, रात्रि जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था। धनुष तथा बाण उसके हाथ से सहज ही छूट गए. भगवान शिव की अनुकम्पा से उसका हिंसक हृदय कारुणिक भावों से भर गया. वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा.
थोड़ी ही देर बाद मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई. उसके नेत्रों से आँसुओं की झड़ी लग गई. उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया.
देव लोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहा था. घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प वर्षा की. तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए।
ॐ नमः शिवाय
🙏🙏
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